पहले हज़ार दिन: शिशु विकास की मजबूत नींव

भोपाल: 11 मार्च 2025

एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह के मार्गदर्शन में संस्थान मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य को बढ़ावा देने की दिशा में निरंतर प्रयासरत है। बाल रोग विभाग की प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष डॉ. शिखा मलिक के अनुसार, “पहले हज़ार दिन शिशु के जीवन की सबसे महत्वपूर्ण अवधि होती है। इस दौरान सही पोषण और देखभाल सुनिश्चित करना बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए आवश्यक है। एम्स भोपाल इस दिशा में जागरूकता बढ़ाने और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ प्रदान करने के लिए निरंतर प्रयास कर रहा है।” वैज्ञानिक अनुसंधानों ने स्पष्ट किया है कि पहले हज़ार दिन – गर्भाधान से लेकर बच्चे के दूसरे जन्मदिन तक – शारीरिक, मानसिक और संज्ञानात्मक विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण होते हैं। इस अवधि में पोषण और देखभाल का प्रभाव दीर्घकालिक जीवन और समाज की स्थिरता पर पड़ता है।

डॉ. शिखा मलिक ने आगे कहा कि अनुसंधानों से पता चला है कि गर्भावस्था के तीसरे सप्ताह तक शिशु का मस्तिष्क तेजी से विकसित होने लगता है और इस दौरान आवश्यक पोषक तत्वों जैसे फोलेट, विटामिन B12 और कोलीन की कमी होने से न्यूरल ट्यूब दोष (जैसे स्पाइना बिफिडा) होने का खतरा बढ़ सकता है। माताओं के आहार और जीवनशैली का शिशु की वृद्धि पर गहरा प्रभाव पड़ता है। गर्भावस्था के दौरान पर्याप्त मात्रा में वसा और डोकोसाहेक्सैनोइक एसिड (DHA) की उपलब्धता शिशु के मस्तिष्क विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, स्वस्थ जीवनशैली और संतुलित आहार न केवल रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं, बल्कि बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास को भी सुनिश्चित करते हैं। जन्म के बाद, पहले छह महीनों तक माँ का दूध शिशु के लिए सबसे उपयुक्त पोषण स्रोत होता है। यह न केवल आवश्यक अमीनो एसिड और फैटी एसिड प्रदान करता है, बल्कि शिशु की बुद्धिलब्धि (IQ) बढ़ाने में भी सहायक होता है। डॉ. शिखा मलिक के अनुसार-“पहले हज़ार दिनों में निवेश, भविष्य के बेहतर स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक स्थिरता का सबसे सुरक्षित रास्ता है।“

अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स की रिपोर्ट के अनुसार, स्तनपान करने वाले बच्चों में बौद्धिक क्षमता अधिक होती है। छह महीने के बाद, पूरक आहार के साथ स्तनपान बच्चे के विकास के लिए लाभदायक होता है। मस्तिष्क के तीव्र विकास के कारण 12 से 24 महीने की अवधि विशेष रूप से महत्वपूर्ण होती है। इस दौरान बच्चे के आहार में आयरन, जिंक और विटामिन B12 जैसे पोषक तत्वों की पर्याप्त मात्रा होनी चाहिए। शोध से पता चला है कि इन पोषक तत्वों की कमी हिप्पोकैम्पस (स्मरण शक्ति का केंद्र) के विकास को बाधित कर सकती है और इससे बच्चों में चिंता और अवसाद का खतरा बढ़ सकता है। शोध में यह भी पाया गया कि पहले हज़ार दिनों में पोषण की कमी से बच्चे में ठिगनापन (स्टंटिंग) और कम वजन (वेस्टिंग) जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं, जिससे उनकी शारीरिक और मानसिक क्षमताएँ प्रभावित होती हैं। लैंसेट ग्लोबल हेल्थ की रिपोर्ट के अनुसार, स्टंटिंग से प्रभावित बच्चों की वयस्क आय संभावनाएँ 20% तक कम हो सकती हैं। प्रसिद्ध पत्रकार रोजर थुरो ने अपने अध्ययन में कहा है, “अगर आप दुनिया को बेहतर बनाना चाहते हैं, तो हमारे पास पहले हज़ार दिनों का समय है – माँ दर माँ, बच्चा दर बच्चा।”

इस महत्वपूर्ण पहल के बारे में बात करते हुए प्रो. (डॉ.) अजय सिंह ने कहा, “पहले हज़ार दिन एक शिशु के जीवन में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। यह केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य का विषय नहीं है, बल्कि समाज और राष्ट्र के भविष्य को प्रभावित करने वाला कारक है। यदि हम इस अवधि में सही पोषण और देखभाल सुनिश्चित कर सकें, तो यह स्वास्थ्य, शिक्षा और आर्थिक विकास के लिए एक मजबूत नींव रख सकता है। एम्स भोपाल इस दिशा में अनुसंधान और जनजागरूकता के माध्यम से योगदान देने के लिए प्रतिबद्ध है।”