एम्स भोपाल में थ्री-डी प्रिंटिंग और मॉडलिंग के माध्यम से भविष्य की चिकित्सा पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

भोपाल: 21 अप्रैल 2025

एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह के मार्गदर्शन में संस्थान द्वारा “थ्री-डी प्रिंटिंग एवं मॉडलिंग इन हेल्थकेयर” विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी का आयोजन एम्स भोपाल की कम्प्यूटेशनल थ्री-डी मॉडलिंग एवं बायोमैकेनिक्स लैब द्वारा किया गया। चिकित्सा के क्षेत्र में थ्री-डी मॉडलिंग के अनेक लाभ हैं—यह सर्जनों को अत्यधिक सटीकता के साथ सर्जरी की योजना बनाने और अभ्यास करने में सक्षम बनाती है, जिससे ऑपरेशन का समय कम होता है और जटिलताओं की संभावनाएं घटती हैं। इसके माध्यम से मरीजों और उनके परिजनों को जटिल बीमारियों और चिकित्सा प्रक्रियाओं को बेहतर ढंग से समझाया जा सकता है। यह तकनीक मेडिकल छात्रों के लिए शारीरिक संरचनाओं और सर्जिकल तकनीकों को व्यावहारिक रूप से समझाने में सहायक होती है। साथ ही, दुर्लभ मामलों को डिजिटल मॉडल के रूप में संरक्षित कर शैक्षणिक और शोध उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। यह लैब मरीज-विशिष्ट मॉडलिंग, वर्चुअल रियलिटी सिमुलेशन, बायोमैकेनिक्स शोध और रेयर केस पैथोलॉजी म्यूज़ियम जैसी महत्वपूर्ण पहलों में अग्रणी भूमिका निभाएगी।

 

इस संगोष्ठी का उद्घाटन प्रो. (डॉ.) अजय सिंह द्वारा किया गया, जिनके नेतृत्व और समर्थन से इस अत्याधुनिक प्रयोगशाला की आधारशिला रखी गई। मुख्य अतिथि के रूप में अपने संबोधन में प्रो. सिंह ने कहा, “यह संगोष्ठी नवाचार और अनुसंधान-आधारित स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का प्रमाण है। थ्री-डी प्रिंटिंग और मॉडलिंग न केवल सर्जिकल प्लानिंग और मेडिकल शिक्षा में क्रांति ला रही है, बल्कि यह व्यक्तिगत और सटीक उपचार की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। मैं इस प्रभावशाली पहल के लिए आयोजन समिति को बधाई देता हूँ और शैक्षणिक संस्थानों से आग्रह करता हूँ कि वे इस विषय को चिकित्सा पाठ्यक्रमों में सम्मिलित करें ताकि जटिलताओं की रोकथाम की जा सके और चिकित्सा गुणवत्ता को और बेहतर बनाया जा सके।”

 

इस तेजी से उभरते क्षेत्र में क्षमता निर्माण के उद्देश्य से लैब द्वारा जुलाई 2025 से दो संरचित प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम आरंभ किए जा रहे हैं, जो मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (मैनिट), भोपाल के सहयोग से संचालित होंगे। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथियों के रूप में डॉ. अजीत कुमार (उप निदेशक प्रशासन), प्रो. (डॉ.) शशांक पुरवार (चिकित्सा अधीक्षक), प्रो. (डॉ.) रजनीश जोशी (डीन एकेडमिक्स) और प्रो. (डॉ.) रेहान उल हक (डीन रिसर्च) की गरिमामयी उपस्थिति रही। भारत और विदेश से आए विशेषज्ञों जैसे एम्स नई दिल्ली की न्यूरोइंजीनियरिंग लैब के वैज्ञानिक डॉ. रमणदीप सिंह तथा स्ट्रैटासिस (इज़राइल) के डेंटल डिवीजन के प्रमुख श्री रॉन एलेनबोगन ने चिकित्सा नवाचार के भविष्य पर अपने विविध दृष्टिकोण साझा किए। श्री एलेनबोगन ने औद्योगिक स्तर पर बायोप्रिंटिंग और उसके नैदानिक उपयोगों पर व्याख्यान दिया, जबकि लैब की संयोजक डॉ. सुनीता अठावले ने लैब की स्थापना, इसके विकास तथा मेडिकल एजुकेशन, वर्चुअल रियलिटी सिमुलेशन, मरीज-विशिष्ट मॉडलिंग, बायोमैकेनिक्स और रेयर केस पैथोलॉजी म्यूज़ियम की दिशा में किए गए कार्यों को साझा किया। संगोष्ठी की शुरुआत में डॉ. रेखा लालवानी (सह-संयोजक) ने स्वागत भाषण और कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की, जबकि डॉ. शीतल कोटगिरवार (सह-संयोजक) ने आभार ज्ञापन प्रस्तुत किया। यह संगोष्ठी एम्स भोपाल की नवाचार और आधुनिक चिकित्सा में उत्कृष्टता की दिशा में प्रतिबद्धता को दर्शाने वाला एक और महत्वपूर्ण कदम है।