एम्स भोपाल की पीजी छात्रा को वृद्धजन सामाजिक सुरक्षा योजनाओं पर शोध के लिए प्राप्त हुआ प्रतिष्ठित ICMR पीजी थीसिस अनुदान 

भोपाल: 12 मार्च 2025

एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह संस्थान में शैक्षणिक श्रेष्ठता और ज्ञान के आदान-प्रदान को एक प्रेरक परंपरा के रूप में विकसित कर रहे हैं। उनकी प्रेरणा से संकाय सदस्य और छात्र निरंतर उत्कृष्टता की नई ऊंचाइयों को छू रहे हैं। हाल ही में, सामुदायिक एवं पारिवारिक चिकित्सा विभाग की द्वितीय वर्ष की स्नातकोत्तर (एमडी) छात्रा डॉ. फातिमा हसन, को उनके शोध अध्ययन “भोपाल में वृद्धजन सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का मूल्यांकन – एक मिश्रित विधियों का अध्ययन” के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) पीजी थीसिस अनुदान प्रदान किया गया है।

यह शोध डॉ. संजीव कुमार (प्रोफेसर, सामुदायिक एवं पारिवारिक चिकित्सा विभाग) के मार्गदर्शन में और डॉ. अभिजीत पी. पखारे (प्रोफेसर, सामुदायिक एवं पारिवारिक चिकित्सा विभाग) एवं डॉ. एम. सुकुमार (सहायक प्रोफेसर, सामान्य चिकित्सा विभाग) के सह-मार्गदर्शन में किया जा रहा है। इसका उद्देश्य भोपाल में वृद्धजन के लिए उपलब्ध सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की पहुँच, प्रभावशीलता और प्रभाव का मूल्यांकन करना है।

यह मिश्रित विधियों पर आधारित अध्ययन एम्स भोपाल के शहरी क्षेत्र में वृद्धजनों के बीच सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की जागरूकता, उपयोगिता और प्रभाव का आकलन करेगा। यह अध्ययन यह भी जांचेगा कि ये योजनाएँ उनकी स्वास्थ्य संबंधी जीवन गुणवत्ता को कैसे प्रभावित करती हैं और इनके उपयोग को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों की पहचान करेगा। इसके अतिरिक्त, यह लाभार्थियों और सेवा प्रदाताओं द्वारा इन योजनाओं को लागू करने में आने वाली चुनौतियों को भी समझने का प्रयास करेगा। अध्ययन वृद्धजनों द्वारा सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के उपयोग की दर का अनुमान लगाएगा, स्वास्थ्य-संबंधी लाभों के प्रति उनकी जागरूकता का विश्लेषण करेगा और शहरी भोपाल में उपलब्ध योजनाओं की पहचान करेगा। साथ ही, यह लाभार्थियों, उनके परिवारों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के बीच इन योजनाओं के प्रति विश्वास, बाधाएँ और सहायक कारकों को भी प्रदर्शित करेगा।

इस महत्वपूर्ण उपलब्धि पर प्रो. सिंह ने डॉ. फातिमा हसन को बधाई देते हुए कहा, “यह शोध हमारे वृद्धजन समुदाय द्वारा सामाजिक सुरक्षा योजनाओं तक पहुँच में आने वाली चुनौतियों को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इसके निष्कर्ष नीति-निर्माताओं को इन योजनाओं की पहुँच और प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करेंगे, जिससे वरिष्ठ नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार होगा।”