एम्स भोपाल ने वर्ल्ड किडनी डे पर आयोजित किया जागरूकता कार्यक्रम, पीडियाट्रिक्स विभाग की महत्वपूर्ण पहल

भोपाल: 13 मार्च 2025

एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह के मार्गदर्शन में एम्स भोपाल ने वर्ल्ड किडनी डे के अवसर पर पीडियाट्रिक्स विभाग द्वारा आयोजित एक जागरूकता सत्र का आयोजन किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य किडनी स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाना, किडनी रोगों की शीघ्र पहचान और रोकथाम के लिए आवश्यक उपायों को प्रोत्साहित करना था। सत्र के दौरान, डॉ. दिशा और डॉ. अथिरा ने किडनी क्षति के प्रारंभिक कारणों पर प्रकाश डाला, जिनमें मूत्र मार्ग संक्रमण (यूटीआई), क्रोनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) और अन्य रोकथाम योग्य जोखिम कारक शामिल हैं। उन्होंने शीघ्र निदान और जीवनशैली में बदलाव के महत्व को रेखांकित किया, जिससे बच्चों और वयस्कों में बेहतर किडनी स्वास्थ्य सुनिश्चित किया जा सके। पीडियाट्रिक्स विभाग के प्रोफेसर, डॉ. गिरीश चंद्र भट्ट ने एक चिंताजनक प्रवृत्ति पर प्रकाश डाला—मोटे बच्चों में उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन) विकसित होने की संभावना 25-40% अधिक होती है। उन्होंने शीघ्र हस्तक्षेप और नियमित किडनी रोग जांच की आवश्यकता पर जोर दिया ताकि दीर्घकालिक स्वास्थ्य जटिलताओं को रोका जा सके।

कार्यक्रम की एक प्रमुख विशेषता ‘दिशा’ नामक एक आईसीएमआर-वित्त पोषित अग्रणी अध्ययन पर केंद्रित थी, जो भारत के पांच केंद्रों में संचालित किया जा रहा है। ‘दिशा’ (डिराइविंग एम्बुलेटरी ब्लड प्रेशर नॉर्मोग्राम इन इंडियन चिल्ड्रेन, ए पायनियर स्टडी) बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने और उनमें हाइपरटेंशन व हृदय जोखिम का शीघ्र पता लगाने में सहायक है। साथ ही, यह अध्ययन बच्चों में एम्बुलेटरी ब्लड प्रेशर मॉनिटरिंग नॉमोग्राम विकसित करने के लिए किया जा रहा है। एम्स भोपाल इस पहल में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, जो न केवल अस्पतालों में बल्कि स्कूलों में भी स्क्रीनिंग कर रहा है। 5-17 वर्ष की आयु के बच्चों का उच्च रक्तचाप, निष्क्रिय जीवनशैली, स्क्रीन टाइम और आहार की आदतों के लिए मूल्यांकन किया जा रहा है, जिससे समग्र रूप से रोकथाम स्वास्थ्य देखभाल सुनिश्चित की जा सके। यह अध्ययन विभिन्न केंद्रों पर संचालित किया जा रहा है, जिनमें सेंट जॉन्स मेडिकल कॉलेज, बेंगलुरु; इंस्टिट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ, कोलकाता; एम्स जोधपुर; और आईकेडीआरसी अहमदाबाद शामिल हैं। एम्स भोपाल का पीडियाट्रिक्स विभाग इस पहल का समन्वय कर रहा है। इस जागरूकता कार्यक्रम में डॉ. महेश और डॉ. अम्बर, पीडियाट्रिक्स विभाग के प्रोफेसर और अतिरिक्त प्रोफेसर, भी उपस्थित थे। उन्होंने एक इंटरैक्टिव प्रश्नोत्तर सत्र में भाग लिया, जिससे मरीजों और उपस्थित लोगों को विशेषज्ञों के साथ सीधे बातचीत करने और अपनी चिंताओं पर चर्चा करने का अवसर मिला। पीडियाट्रिक्स विभाग की प्रमुख, डॉ. शिखा मलिक ने बच्चों को प्रभावित करने वाली विभिन्न पुरानी बीमारियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने पर महत्वपूर्ण विचार साझा किए। उन्होंने नियमित स्वास्थ्य जांच और जीवनशैली में बदलाव की आवश्यकता पर बल दिया ताकि बच्चों में दीर्घकालिक जटिलताओं को रोका जा सके।

प्रो. (डॉ.) अजय सिंह ने इस कार्यक्रम के महत्व को रेखांकित किया और प्रारंभिक अवस्था से ही किडनी स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “जागरूकता जीवन के प्रारंभिक चरण से ही शुरू होनी चाहिए। शिक्षा और सक्रिय स्वास्थ्य देखभाल पुरानी बीमारियों को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ‘दिशा’ जैसी पहलों और बाल स्वास्थ्य में समर्पित प्रयासों के माध्यम से, हम युवा पीढ़ी के लिए एक स्वस्थ भविष्य सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठा रहे हैं।” इस कार्यक्रम में स्वस्थ आहार आदतों, किडनी रोग के प्रारंभिक चेतावनी संकेतों और रोकथाम उपायों जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की गई। कार्यक्रम का समापन इस सशक्त संदेश के साथ हुआ कि—किडनी स्वास्थ्य सभी के लिए प्राथमिकता होनी चाहिए।