January 11, 2025

एम्स भोपाल में ड्यूचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (डीएमडी) परीक्षण हेतु पहली सफल कोरियोनिक विल्लस सैंपलिंग (सीवीएस) प्रक्रिया

 

भोपाल: 10 जनवरी 2025

एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह के मार्गदर्शन में, प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग ने ड्यूचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (डीएमडी) के परीक्षण हेतु पहली सफल कोरियोनिक विल्लस सैंपलिंग (सीवीएस) प्रक्रिया को 8 जनवरी 2025 को सफलतापूर्वक संपन्न किया। इस प्रक्रिया में फीटल मेडिसिन की विजिटिंग कंसल्टेंट डॉ. मनुप्रिया माधवन, प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की प्रोफेसर और प्रमुख डॉ. के. पुष्पलता, एसोसिएट प्रो. डॉ. नीतू मिश्रा, रेजीडेंट डॉक्टर, नर्सिंग ऑफिसर और अन्य कर्मचारी शामिल थे। यह उपलब्धि कार्यवाहक चिकित्सा अधीक्षक प्रो. (डॉ.) शशांक पुरवार के समर्थन से पूर्ण की गई। यह सीवीएस प्रक्रिया जेनेटिक काउंसलिंग के बाद, अस्पताल प्राधिकारियों के निर्देशों और प्रयोगशाला अनुभाग के साथ प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग के सहयोग और समन्वय के तहत इन-हाउस लॉजिस्टिक सपोर्ट के साथ किया गया ।

रोगी, जो अपनी तीसरी गर्भावस्था (G3P2L2) में थी, को एम्स भोपाल के हाई रिस्क प्रेग्नेंसी क्लिनिक में सात सप्ताह की गर्भावस्था में पंजीकृत किया गया था। उनकी पिछली दो संतानें ड्यूचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (डीएमडी) से प्रभावित थीं। उनकी वर्तमान गर्भावस्था में, मरीज को एम्स भोपाल में गर्भावस्था के पहले तीन महीनों में प्रसवपूर्व देखभाल और क्रमिक प्रसवपूर्व अल्ट्रासाउंड स्कैन प्रदान किए गए और 12 सप्ताह की गर्भावस्था पर सीवीएस के साथ आनुवंशिक जांच के लिए एम्स भोपाल की जेनेटिक क्लिनिक में काउंसलिंग दी गई।

इस उपलब्धि पर प्रो. सिंह ने कहा, “यह सफलता एम्स भोपाल की उच्चस्तरीय चिकित्सा सेवाओं और मरीजों को समर्पित उत्कृष्ट देखभाल का प्रमाण है। हमारी टीम ने गर्भकालीन जटिलताओं के प्रबंधन और आनुवांशिक विकारों के समय पर निदान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। यह सफलता न केवल मरीजों के बेहतर स्वास्थ्य की ओर बल्कि संस्थान की चिकित्सा उत्कृष्टता की ओर भी संकेत करती है।”

ड्यूचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (डीएमडी) एक आनुवंशिक विकार है, जो मांसपेशियों के क्रमिक नुकसान के कारण होता है। यह रोग मुख्य रूप से डिस्ट्रोफिन प्रोटीन की कमी के कारण होता है, जिससे मांसपेशियों की कार्यक्षमता प्रभावित होती है। विलोपन, प्रतिलिपियां और छोटे उत्परिवर्तनों का पता लगाने वाली व्यापक आनुवंशिक जांच डीएमडी मामलों के 95-99% का पता लगा सकती है। सीवीएस के साथ आनुवंशिक परीक्षण अप्रत्याशित स्थितियों का पता लगाने में मदद करता है, जो परिवारों के लिए बेहतर काउंसलिंग और प्रबंधन में मार्गदर्शन करता है। डीएमडी एक वंशानुगत स्थिति है जिसका वर्तमान में कोई इलाज नहीं है, लेकिन उपचार लक्षणों को प्रबंधित करने और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद कर सकते हैं। नवीन संयोजन चिकित्सा में डिस्ट्रोफिन का पुनर्स्थापन या प्रतिस्थापन (जैसे, जीन थेरेपी, एक्सॉन स्किपिंग, क्रिस्पर, आदि), के साथ-साथ वे उपचार जो लक्षणों को संबोधित करते हैं (जैसे फाइब्रोसिस, सूजन, रक्त प्रवाह आदि को लक्षित करते हैं) शामिल हैं।