एम्स भोपाल ने मप्र के इतिहास में पहला ऐसा हार्ट ट्रांसप्लांट किया जिसमें मशीनरी से लेकर डॉक्टर्स की टीम सभी कुछ मप्र का

जबलपुर से ऑर्गन लाने के लिए पहली बार पीएमश्री एयर एंबुलेंस का इस्तेमाल और पहली बार ही तीन ग्रीन कॉरिडोर, जबलपुर, भोपाल और इंदौर में।

भोपाल: 25 जनवरी 2025

एम्स भोपाल मे मप्र के इतिहास का सफल हृदय प्रत्यारोपण कर, इतिहास रच दिया। इसी संबंध में एम्स भोपाल द्वारा प्रेस वार्ता राखी गई और विस्तार से इसके बारे में जानकारी दी गई। डॉ अजय सिंह ने बताया कि एम्स भोपाल की टीम द्वारा एक ब्रेन डेड डिक्लेयर व्यक्ति के हृदय को एम्स भोपाल की टीम ने स्वयं जाकर पहले उसे निकाला और बाद में उसी टीम द्वारा सफल प्रत्यारोपित भी किया, उन्होंने एम्स भोपाल की टीम को बहुत बहुत साधुवाद भी दिया और भूरि भूरि प्रशंसा भी की।

प्रत्यारोपण की प्रक्रिया का विवरण:

इस ट्रांसप्लांट के लिए जबलपुर, भोपाल और इंदौर मे ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया. मध्य प्रदेश के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि इतने सारे ग्रीन कॉरिडोर एक साथ बनाए गए हों और इन सभी जगह के ट्रांसप्लांट के लिए डोनर एक ही था। ट्रांसप्लांट के लिए ब्रेन डेड मरीज के हार्ट को जबलपुर से पीएम श्री एयर एंबुलेंस के जरिए लाया गया था. इस ट्रांसप्लांट के लिए जबलपुर, भोपाल और इंदौर में तीन ग्रीन कॉरिडोर बनाए गए. डॉ आयुष जो एम्स भोपाल के कार्डियक प्रोफेसर भी हैं ने बताया कि डोनर के हार्ट को जबलपुर से लेकर भोपाल तक लाने में उनने और उनकी टीम ने लगातार कई घंटों की मशक्कत की, एम्स भोपाल की ही टीम ने हार्ट को निकालने के लिए जबलपुर में जाकर सर्जरी की और उसी टीम ने हार्ट को जबलपुर से लेकर भोपाल एम्स में मरीज के शरीर में ट्रांसप्लांट किया। इस पूरी प्रक्रिया में एम्स भोपाल की पूरी टीम को लगातार लगभग 24 से 26 घंटे काम करना पड़ा।

ब्रेन डेड मरीज का हार्ट ग्रीन कॉरिडोर और एयर एम्बुलेंस के माध्यम से जबलपुर से भोपाल लाया गया. इसके बाद एम्स भोपाल में इस हार्ट का सफल ट्रांसप्लांट किया गया. लिवर को हेलीकॉप्टर और एरोप्लेन से इंदौर स्थित चोइथराम अस्पताल भेजा गया है. लिवर को पहले हेलीकॉप्टर से भोपाल एयरपोर्ट लाया गया. यहां से उसे एयरपोर्ट से इंदौर पहुंचाया गया. चोइथराम अस्पताल में लिवर ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया जारी है।

वो टीम जिसने इस ऐतिहासिक कार्य को प्रतिरूप दिया:

इस हृदय प्रत्यारोपण प्रक्रिया को कुशल सर्जन टीम द्वारा अंजाम दिया गया, जिसमें डॉ. योगेश निवारिया, डॉ. एम किशन, डॉ. सुरेंद्र यादव, डॉ. राहुल शर्मा, डॉ. विक्रम वट्टी, और डॉ. आदित्य सिरोही शामिल हैं। इस प्रक्रिया में कार्डियोलॉजी विशेषज्ञ डॉ. भूषण शाह की महत्वपूर्ण भूमिका रही। इस प्रत्यारोपण कार्य में कार्डियक एनेस्थेटिस्टों की टीम जो कि डॉ. वैशाली वेंडेस्कर के मार्गदर्शन में कार्य कर रही थी ने महत्वपूर्ण सहयोग दिया, जिसका नेतृत्व डॉ. नागभूषणम कर रहे थे। प्रत्यारोपण समन्वयक श्री दिनेश मीना ने इस प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस पूरी प्रक्रिया में नर्सिंग स्टाफ, जिसमें शैलेश, ममराज, लता गर्ग, हंसा , भूपेंद्र, कमलकांत, ललित, पल्लवी, दिनेश पंचाल और पूनम शामिल हैं, ने महत्वपूर्ण योगदान दिया।

ऐम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक डॉ अजय सिंह की अपने कार्य के प्रति पूर्ण निष्ठा और समर्पण की सराहना की जानी चाहिए उनके लगातार प्रयासों से ही एम्स भोपाल की टीम ने ये कारनामा कर दिखाया। डॉ अजय ने जब से एम्स भोपाल में निदेशक का पद ग्रहण किया है तब से एम्स भोपाल नित नए शिखर छू रहा है, उन्हीं के प्रयासों से आज एम्स भोपाल में प्रतिदिन 8 हजार से ज्यादा मरीज रोज ओपीडी में मार्गदर्शन पा रहे हैं और आश्चर्य ये है कि उन सभी को अब किसी कतार में भी खड़ा नहीं होना पड़ता और न ही किसी सिक्योरिटी गार्ड से अंदर जाने के लिए बहस करना पड़ती। डॉ अजय के मुक्त हस्त वातावरण की वजह से ही एम्स भोपाल के डॉक्टर्स भी आबाध गति से निरंतर एम्स भोपाल को मानव सेवा की चरम सीमा पर पहुंचाने का कार्य कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने दी बधाई और x पर लिखा पोस्ट

हेल्थ सेक्टर में इस सफलता के लिए सीएम यादव ने मेडिकल टीम को बधाई दी है. ‘X’ पर लिखा, ”पीएमश्री एयर एंबुलेंस सेवा बनी वरदान, दो अनमोल जिंदगियों को मिला नया जीवन.. ब्रेन डेड घोषित सागर जिले के बलिराम कुशवाहा जी (61) के परिवारजनों ने अंगदान-महादान का निर्णय लिया. जबलपुर में ग्रीन कॉरिडोर बनाकर डुमना एयरपोर्ट से हार्ट एम्स भोपाल पहुंचाया गया, वहीं तिलवारा के हेलीपैड से लिवर इंदौर के चोइथराम हॉस्पिटल भेजा गया.

“दो जिंदगियां बचाकर महाप्रयाण पर निकले स्व. बलिराम जी को सादर श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं. साहसिक निर्णय के लिए परिवारजनों का ह्रदय से अभिनंदन है। मध्यप्रदेश में पहली बार हार्ट ट्रांसप्लांट होने और जबलपुर, भोपाल व इंदौर में ग्रीन कॉरिडोर हेतु समर्पित भाव से कर्तव्य निर्वहन के लिए चिकित्सकों के दल, पुलिस व प्रशासन को बधाई.”।

इस मौके पर कहा कि मध्य प्रदेश की हेल्थ सर्विस में यह सफलता ऐतिहासिक है. यह हार्ट ट्रांसप्लांट स्वास्थ्य विभाग, जबलपुर के नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज और एम्स भोपाल की टीम ने किया।