
भोपाल: 18 अप्रैल 2025
मध्य प्रदेश में जल संकट पर बीजेपी सरकार की नाकामी – मुकेश नायक
मध्य प्रदेश में गहराते जल संकट को देखकर कांग्रेस ने इसे वर्तमान सरकार की नाकामी बताया और इस गंभीर समस्या के लिए भाजपा सरकार को जिम्मेदार ठहराया। मुकेश नायक ने प्रेस वार्ता करके कहा कि समस्या दिन-प्रतिदिन गंभीर होती जा रही है और यह संकट अब राज्य के ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में अपनी जड़ें जमा चुका है। लाखों लोग पीने के पानी जैसी मूलभूत आवश्यकता के लिए संघर्ष कर रहे हैं, जिसने उनकी जिंदगी को मुश्किल में डाल दिया है। मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मीडिया विभाग अध्यक्ष मुकेश नायक ने इस गंभीर स्थिति के लिए बीजेपी सरकार की नीतियों और कुप्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि सरकार की निष्क्रियता, भ्रष्टाचार और जनविरोधी फैसलों ने मध्य प्रदेश की जनता को इस संकट की आग में झोंक दिया है। यह एक ऐसा संकट है जो केवल कागजी योजनाओं और बड़े-बड़े वादों से हल नहीं हो सकता, बल्कि इसके लिए ठोस कदमों और जवाबदेही की जरूरत है, जो बीजेपी सरकार में कहीं नजर नहीं आती।
राज्य के अलग-अलग हिस्सों से जल संकट की ऐसी कहानियाँ सामने आ रही हैं जो दिल दहला देने वाली हैं और सरकार की विफलता को साफ तौर पर उजागर करती हैं। इछावर विधानसभा क्षेत्र, जो राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा का अपना क्षेत्र है, वहां की स्थिति बेहद चिंताजनक है। यह सोचने वाली बात है कि एक मंत्री के क्षेत्र में भी लोग पानी की कमी से जूझ रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के 18 साल के लंबे कार्यकाल के बावजूद, इस क्षेत्र के गांवों में आज भी मूलभूत जल सुविधाओं का अभाव है। यह स्थिति स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि सरकार ने न केवल आम जनता की अनदेखी की है, बल्कि अपने ही नेताओं के क्षेत्रों को भी राहत देने में असफल रही है। ग्रामीणों को पानी के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है और उनकी यह मजबूरी सरकार की उदासीनता का जीता-जागता सबूत है।
इसके अलावा, तेंदूखेड़ा तहसील से मात्र 5 किलोमीटर दूर जैतपुर गांव की स्थिति और भी बदतर है। इस गांव की 500 की आबादी को पीने के पानी के लिए हैंडपंप पर घंटों लाइन में खड़ा रहना पड़ता है या फिर दूर-दराज के खेतों से पानी लाना पड़ता है। यहां की महिलाएं सुबह जल्दी उठकर पानी की व्यवस्था में जुट जाती हैं, जिससे उनकी दिनचर्या पूरी तरह प्रभावित हो रही है और उनके स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ रहा है। सरकार की नल जल योजना के तहत लगाए गए नल पूरी तरह सूखे पड़े हैं और ग्रामीणों को इस योजना का कोई फायदा नहीं मिला है। यह योजना, जो लोगों की जिंदगी में बदलाव लाने का वादा लेकर आई थी, आज केवल एक खोखला ढांचा बनकर रह गई है। यह स्थिति सरकार की नाकामी को साफ तौर पर दिखाती है कि उनके दावे और जमीनी हकीकत में कितना बड़ा अंतर है।
सीहोर जिले के बिसनखेड़ी गांव की घटना तो सरकार की संवेदनहीनता को और भी गहराई से उजागर करती है। यहां जल संकट इतना गंभीर हो गया कि एक व्यक्ति को अपनी शिकायत लेकर डिवीजनल कमिश्नर के कार्यालय तक रेंगकर जाना पड़ा। यह घटना बेहद शर्मनाक है और यह सवाल उठाती है कि क्या मध्य प्रदेश की जनता को अपनी मूलभूत जरूरतों के लिए इतने कठोर कदम उठाने पड़ेंगे। यह घटना सरकार की उदासीनता और लापरवाही का प्रतीक बन गई है, जो यह दिखाती है कि जनता की पुकार को सुनने वाला कोई नहीं है। ऐसे में यह साफ हो जाता है कि बीजेपी सरकार ने लोगों के दुख-दर्द को समझने और उसका समाधान करने में पूरी तरह असफलता दिखाई है।
बैतूल जिले के ग्राम मेंढा में भी जल संकट की स्थिति कम गंभीर नहीं है। यहां जल जीवन मिशन के तहत नल कनेक्शन तो दे दिए गए हैं, लेकिन पिछले दो साल से इन नलों से पानी की एक बूंद भी नहीं पहुंची है। ग्रामीण अपनी जान जोखिम में डालकर कुओं से पानी निकालने को मजबूर हैं, जो उनकी सुरक्षा के लिए भी खतरा बन गया है। यह स्थिति दर्शाती है कि सरकार की योजनाएं केवल कागजों तक सीमित हैं और जमीनी स्तर पर उनका कोई असर नहीं है। जल जीवन मिशन, जिसे हर घर तक पानी पहुंचाने का सपना दिखाया गया था, मध्य प्रदेश में एक विफल प्रयोग बनकर रह गया है। यह योजना केवल नाम की है और इसका लाभ जनता तक पहुंचाने में सरकार पूरी तरह नाकाम रही है।
यह संकट केवल इन कुछ क्षेत्रों तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे राज्य में फैल चुका है। किसानों को सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल रहा है, जिसके चलते उनकी फसलें सूख रही हैं और उनकी आजीविका पर संकट मंडरा रहा है। जल माफिया और अवैध भूजल दोहन की समस्या भी दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है, लेकिन सरकार ने इस पर कोई नियंत्रण नहीं किया है। पानी की कमी के कारण लोगों का दैनिक जीवन प्रभावित हो रहा है और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी बढ़ रही हैं। यह एक ऐसा संकट है जिसने मध्य प्रदेश की जनता को हर स्तर पर प्रभावित किया है, लेकिन सरकार इसकी गंभीरता को समझने में असफल रही है।
जल जीवन मिशन, जो केंद्र सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है, मध्य प्रदेश में अपनी उपयोगिता साबित करने में नाकाम रहा है। राज्य सरकार की अक्षमता और लापरवाही के कारण इस योजना का लाभ लोगों तक नहीं पहुंच पा रहा है। पाइपलाइन बिछाने के काम में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के आरोप सामने आए हैं और कई गांवों में पानी की आपूर्ति शुरू ही नहीं हुई है। विपक्ष ने इस मुद्दे को विधानसभा में बार-बार उठाया है और सरकार से जवाब मांगा है, लेकिन बीजेपी सरकार हर बार चुप्पी साध लेती है। यह भ्रष्टाचार और निष्क्रियता का ऐसा मिश्रण है जिसने जनता के विश्वास को तोड़ा है और सरकार की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए हैं।
पिछले साल 5 जुलाई 2024 को संसदीय कार्य मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने विधानसभा में बड़े जोर-शोर से आश्वासन दिया था कि जल जीवन मिशन की प्रगति की समीक्षा के लिए हर महीने जनप्रतिनिधियों के साथ बैठकें आयोजित की जाएंगी। लेकिन यह वादा भी अन्य वादों की तरह खोखला साबित हुआ।
मुकेश नायक ने इस संकट पर अपनी बात को और सशक्त करते हुए कहा कि बीजेपी सरकार ने मध्य प्रदेश की जनता के साथ हर स्तर पर धोखा किया है। उन्होंने मांग की कि सरकार तत्काल इस संकट का समाधान करे, जल जीवन मिशन में हुए भ्रष्टाचार की जांच कराए और अपनी जवाबदेही स्वीकार करे। यह संकट केवल पानी की कमी का नहीं, बल्कि सरकार की इच्छाशक्ति और नीति की कमी का भी है। नायक ने यह भी कहा कि कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे को लगातार उठाती रहेगी और जनता के हितों की रक्षा के लिए हर संभव प्रयास करेगी। अंत में, उन्होंने सरकार को चेतावनी दी कि जनता अब इस नाकामी को और बर्दाश्त नहीं करेगी और उसे इसका जवाब देना होगा।
मुकेश नायक ने अपनी बात को समाप्त करते हुए एक बार फिर जोर देकर कहा, “बीजेपी सरकार ने मध्य प्रदेश की जनता के साथ विश्वासघात किया है। हम इस संकट के समाधान के लिए हर संभव प्रयास करेंगे और सरकार को उसकी जिम्मेदारी याद दिलाते रहेंगे।” यह प्रेस विज्ञप्ति मध्य प्रदेश के जल संकट की गंभीरता को उजागर करती है और बीजेपी सरकार की विफलताओं को जनता के सामने लाने का प्रयास करती है। यह संकट अब केवल एक समस्या नहीं, बल्कि सरकार की नाकामी का प्रतीक बन चुका है, जिसे ठीक करने की जिम्मेदारी अब सरकार पर है।
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