December 1, 2025

क्या सौरभ की गिरफ्तारी से राज खुलेंगे?? या गिरफ्तारी के बहाने बड़े साहबों को बचाने का खेल??

भोपाल: 28 जनवरी 2025

मप्र का बहुचर्चित सौरभ शर्मा कांड का आखिरकार नया अध्याय आरम्भ हो हो गया। आरटीओ का पूर्व कांस्टेबल सौरभ शर्मा को लोकायुक्त की टीम ने न्यालय में समर्पण करने से पहले मंगलवार को गिरफ्त में ले लिया और शाम को हमीदिया अस्पताल में मेडिकल करा कर के कोर्ट में पेश कर दिया। न्यायालय ने सौरभ शर्मा के वकील और लोकायुक्त के वकील की जिरह के बाद लोकायुक्त पुलिस को सौरभ शर्मा से पूछताछ के लिए सात दिन की रिमांड दे दी। सौरभ पूछताछ में कई राज खोल सकता है ऐसा माना जा रहा है। उसके पास कोई लाल डायरी होने की बात कही जा रही है जिसमें कई बड़े नेताओं और अफसरों के राज हो सकते हैं।

सौरभ शर्मा लोकायुक्त की गिरफ्त में 

41 दिन बाद सौरभ शर्मा जो कि परिवहन विभाग के बड़े भ्रष्टाचार का सरगना माना जा रहा है को लोकायुक्त की टीम ने गिरफ्तार कर लिया है। मंगलवार को लोकायुक्त पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर कोर्ट के सामने पेश किया गया। सौरभ के साथ ही लोकायुक्त की पकड़ में उसके साथी चेतन सिंह गौड़ और शरद जायसवाल भी आ गए। अब लोकायुक्त तीनों से अलग-अलग और आमने-सामने बैठा कर पूछताछ करेगी। इसमें कांस्टेबल आरटीओ के बड़े घोटाले में कई बड़े खुलासे कर सकता है। सौरभ शर्मा की गिरफ्तारी से बड़े नेता और अफसरों सदमे में हैं।

वर्तमान और पूर्व परिवहन मंत्री सवालों के घेरे में

सौरभ शर्मा की नियुक्ति शिवराज सरकार में पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह के कार्यकाल में हुई थी जिस पर अभी भी विवाद बरकरार है। यदि सौरभ शर्मा पकड़ाया नहीं होता तो शायद उसकी नियुक्ति भी विवादों में नहीं आती। भूपेंद्र सिंह के अनुसार उनका सौरभ शर्मा की नियुक्ति से कोई लेना देना नहीं था। सौरभ शर्मा 2016 से 2023 तक नौकरी में रहा। इस बीच, कांग्रेस से भाजपा में आए गोविंद सिंह राजपूत, कमलनाथ और शिवराज सरकार में परिवहन मंत्री रहे। सौरभ शर्मा ने उनके कार्यकाल में करीब चार साल तक नौकरी की।

कांग्रेस का आरोप सरकार और प्रशासन सब मिले हुए

कांग्रेस के बड़े नेता चाहे वो जीतू पटवारी हों उमंग सिंगार हो या अन्य कोई बड़ा नेता हो सभी ने आरोप लगाया हैं और कहा कि सौरभ शर्मा तो एक प्यादा है उसके पास इतना पैसा बिना किसी सफेदपोश और अधिकारी के संरक्षण के बगैर नहीं आ सकता। कांग्रेस ने गोविंद सिंह राजपूत पर भी आरोप लगाए हालांकि, गोविन्द सिंह राजपूत ने इन आरोपों को सिरे से नकार दिया और कहा कि इस मामले में मेरा कोई लेना—देना नहीं है। जांच एजेंसियां अपना काम कर रही हैं। जांच के बाद सब क्लियर हो जाएगा।

डायरी में कई अधिकारियों के नाम

कई लोगों का मानना है कि सौरभ शर्मा के पास कोई डेयरी है जो एक अहम दस्तावेज है जिसमें कई दिग्गजों के नाम होने की संभावना है। ये डायरी सौरभ के दोस्त चेतन गौर की गाड़ी से मिली है, जिसमें प्रदेश के सभी जिलों के अधिकारियों के हिसाब किताब लिखा होने की बात सामने आई है। अब सौरभ और चेतन गौड़ पूछताछ में डायरी में किन अधिकारियों का लेखा जोखा है, उसका खुलासा कर सकते हैं। बताया जा रहा है कि डायरी में उन अधिकारियों की पूरी डिटेल है, जिनको उगाही का हिस्सा देता था। ऐसे में कई अधिकारियों और नेताओं की अब धड़कनें बड़ी हुई हैं।

जांच एजेंसी की कार्यप्रणाली पर खड़े हुए सवाल 

सौरभ शर्मा के ठिकानों पर लोकायुक्त ने 19 दिसंबर को छापा मारा था। इसके बाद से वह फरार था। इसके बाद एजेंसियों के उसके दुबई जाने की बात कही। वहीं, रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया गया। हालांकि, बाद में उसके 23 दिसंबर को भारत लौट आने की जानकारी भी सामने आई। वह इसके बाद से दिल्ली समेत अलग-अलग शहरों में घूम रहा था। वह अपने परिवार के संपर्क में था। चौंकाने वाली बात यह है कि इस बीच वह भोपाल भी आया, लेकिन एजेंसियां सोती रहीं। सौरभ के वकील राकेश पाराशर ने दावा किया कि सोमवार को सौरभ कोर्ट आया और आवेदन पर हस्ताक्षर किए। इसके बावजूद एजेंसियों को कोई भनक नहीं लगी। ऐसे में अब जांच एजेंसियों की कार्यप्रणाली भी संदेह के घेरे में है।

निश्चित ही जांच एजेंसियों की कार्यप्रणाली कटघरे में 

कई वरिष्ठ पत्रकारों का कहना है कि इस मामले में निश्चित तौर पर जांच एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं। इसमें लोकायुक्त, ईडी और आयकर की टीम जांच कर रही है। वहीं, आरोपी भारत में घूम रहा है। वह भोपाल आता है और जांच एजेंसियों को उसका पता ही नहीं चलता है। इससे जांच एजेंसियों की कार्यप्रणाली कटघरे में आती है। हाईप्रोफाइल मामले में तो जांच एजेंसियों की तेजी से कार्यवाही की उम्मीद रहती है।