
कलेक्टर बोले 7 अप्रैल तक बैंक गारंटी जमा ना आने पर ठेके होंगे निरस्त
भोपाल: 7 अप्रैल 2025
रिपोर्ट: पंकज सिंह भदौरिया( वरिष्ठ पत्रकार)
आबकारी विशेषज्ञ कीख़ास खबर
आम आदमी,किसान के कुछ हजार रुपये बकाया होने पर शासन-प्रशासन उसकी मोटर /थाली तक नीलाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ता और दूसरी तरफ शराब व्यवसाइयों को मात्र आश्वासन के बूते लगभग पूरे जिले में शराब दुकानें संचालन की अनुमति दे दी जाती है। प्रदेश के किसी दूरस्थ अंचल में यह नाफ़रमानी की जाए तो समझ भी आता है। नियम बनाने वालों की नाक के नीचे धड़ल्ले से नियम कायदों की धज्जियाँ उड़ाई गई और एक सप्ताह बीत जाने के बाद शासन को अपना पैसा लेने की जरूरत समझ आई।दरअसल,भोपाल में शराब से अधिक से अधिक आय के लिए पूरे जिले को चार ग्रुप में बांटा गया। एकाधिकार कायम कराने के लिए नियम बनाया गया यह शुरू से लोग आवाज उठाते रहे हैं। फिर जैसा स्क्रिप्टेड था, तीन ग्रुप एक ही व्यवसाई को मिला(हालांकि विभाग इससे मना करता रहा ) ।शहर की 87 शराब दुकानों को केवल चार समूहों में विभाजित किया गया ।अब वास्तविक स्थिति यह है कि चार में से तीन ग्रुप के लिए ठेकेदार बैंक गारंटी नहीं दे पाए और अब अनुबंध को ख़त्म करने की प्रक्रिया की जा रही है। जिले की 87 शराब दुकानें 1193 करोड़ रुपए में नीलाम हुईं थीं,और अधिकारियों ने 11.14 प्रतिशत बढ़ोत्तरी के साथ अपनी पीठ खुद ही थपथपा ली। दुकानों का रिजर्व प्राइस 1073 करोड़ रुपए निर्धारित था लेकिन टेंडर में ही 1134 करोड़ रुपए से ज्यादा के ऑफर आ गए थे। पिछले साल 895 करोड़ रुपए राजस्व मिला था। इस बार इसके मुकाबले 298 करोड़ रुपए ज्यादा राजस्व मिलेगा। जिले की 87 शराब दुकानों में से 62 दुकानें, यानी 71 प्रतिशत से अधिक, सोम ग्रुप को मिली हैं। दरअसल, टेंडर और ऑक्शन की प्रक्रिया में कुल 16 बिड डाली गई थीं। इनमें से ग्रुप 1, 2 और 4 सोम ग्रुप की फर्मों को मिले, जबकि ग्रुप 3 शिवहरे ग्रुप की फर्म को मिला।शराब के धंधे में प्रदेश में पहले से ही बदनाम सोम ने दुकान मिलते ही अपना रंग दिखाना शुरू किया या यूं कहें अधिकारियों ने नखरे सहना शुरू कर दिया। दुकान संचालन की पहली अर्हता होती है बैंक गारंटी जिसको पूरा किए बिना किसी को भी दुकान के संचालन की अनुमति नहीं होती। लेकिन इस मामले में सोम के तीनों समूहों को प्रारंभिक 10% की बैंक गारंटी के साथ दुकान चलाने की अनुमति तो मिल गई, लेकिन उसके बाद आबकारी और जिला प्रशासन खबर लिखे जाने तक शेष दो समूहों की बैंक गारंटी नहीं ले पाया है।
खबर जो आपको जानना चाहिए (बॉक्स में)
दरअसल सोम डिस्टलरी शराब निर्माता होने की वजह से सीधे रिटेल में व्यवसाय नहीं कर सकती थी,ऐसा जानकारों का मानना है। लिहाजा उन्होंने अपने ही कर्मचारियों, केयर टेकर के नाम पर एक कंसोर्टियम बनाया जिससे वो टेंडर ऑक्शन प्रक्रिया में भाग ले पाए। अब चूंकि जिनके नाम पर ठेके आवंटित हुए हैं,उनकी साख (बैंकिंग शब्दावली) इतनी नहीं कि कोई भी बैंक इतनी बड़ी गारंटी दे पाए। इसलिए अब बैंक गारंटी देने में पसीने छूट रहे हैं।मामला पब्लिक डोमेन में आने की वजह से सोम ज्यादा इरादतन गड़बड़ी भी नहीं करना चाहेगा। मूल प्रश्न तो अब यह है कि लगभग 7 दिन भी क्यों दुकान संचालन की अनुमति बिना बैंक गारंटी किसने और क्यों दी ?
इनका कहना है
इसका उत्तर जिला स्तर पर ही मिलेगा, बैंक गारंटी को लेकर नियम स्पष्ट है। यदि हमारे पास कोई जानकारी या शिकायत आती है तो नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी:–अभिजीत अग्रवाल (आबकारी आयुक्त, मध्यप्रदेश)
समूह 3 की बैंक गारंटी मिल गई है,1,2,4 के लिए 10% की बैंक गारंटी के बाद दो समूह एक और दो की बीजी नहीं मिली है। 7 अप्रैल तक का समय दिया गया है। बैंक गारंटी नहीं मिलने पर नियमानुसार कार्यवाई की जायेगी।:–कौशलेन्द्र विक्रम सिंह (कलेक्टर,भोपाल)
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