
जब नैतिक मूल्यों की गिरावट होती है, तो सख्ती से कानून की ओर जाना पड़ता है-मंत्री श्री प्रहलाद सिंह पटेल
भोपाल: 9 मार्च 2025
मप्र सरकार के केबिनेट मंत्री ने कहा कि मैं देवलिया जी के परिजनों का ह्रदय से आभार करता हूं, क्योंकि उन्होंने उनकी स्वाध्याय की; लेखन की; शिक्षा,ज्ञान बांटने की परंपरा का, उनके मन में जो आत्मभाव था,उसे पारितोषक के रूप में इस आयोजन के रूप में सतत बनाए रखा है।
यह बात मध्यप्रदेश के ग्रामीण विकास एवम ग्रामोद्योग मंत्री माननीय श्री प्रहलाद सिंह पटेल ने कही। वे आज भोपाल में माधवराव सप्रे समाचार पत्र संग्रहालय एवम शोध संस्थान में आयोजित राज्य स्तरीय अलंकरण एवं देवलिया स्मृति व्याख्यान को संबोधित कर रहे थे।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि मंत्री श्री पटेल ने इस वर्ष के राज्य स्तरीय भुवनभूषण देवलिया पत्रकारिता सम्मान से वरिष्ठ पत्रकार राजेश पांडेय को उनकी सुदीर्घ पत्रकारिता के लिए प्रदान किया।
समिति के इस 14वें वार्षिक आयोजन के अंतर्गत उन्हें सम्मान स्वरूप 11 हजार रुपए एवं प्रशस्तिपत्र प्रदान किया गया।
आयोजन के दौरान मौजूदा समय के सर्वाधिक चर्चित मुद्दे ‘एक देश-एक कानून’ विषय पर विमर्श-व्याख्यान में बोलते हुए मुख्य अतिथि मंत्री श्री पटेल ने कहा कि जब ‘एक देश-एक कानून’ की बात होती है,तो मेरा स्वयं का जो सार्वजनिक जीवन है, वो कम से कम चार दशक का है। इन चार दशक में जो परिवर्तन मैं अपनी आंखों से देखता हूं और उसके बाद अगर मैं अपनी बात कहता हूं, तो उसमें किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। नरसिंहपुर के पास एक गांव है कठौतिया। वहां एक भी मुस्लिम परिवार नहीं था, पर एक मस्जिद थी। वो हमेशा साफ-सुथरी, पुती हुई दिखती थी। उस गांव के लोग जैसे ही दीपावली आती थी, सबसे पहले मस्जिद को पोत दिया करते थे। लेकिन चार दशक बाद अब वहां; वो वातावरण नहीं रहा। क्या ये चिंता का विषय नहीं है, क्या ये सोचने की बात नहीं है? तो क्या हमें अपने भविष्य के बारे में विचार नहीं करना चाहिए?
जो संविधान में लिखा हुआ है कि इस पर विचार करना चाहिए। मैं भी इस बात का हिमायती हूं कि संविधान आपको क्लिष्ट लग सकता है, लेकिन संविधान सभा की बहस; हमारे मन में जो प्रश्न पैदा होते हैं, इन प्रश्नों के उत्तर के समान है और रोचक भी है।
मंत्री श्री पटेल ने आगे कहा-मैं विनम्रता से एक और उदाहरण रखना चाहूंगा। जब मैं काॅलेज से निकला, तब नैतिकता को लेकर कई प्रश्न थे। लिखता रहता था-नैतिक अवमूल्यन के लिए दोषी कौन-धर्म, समाज या व्यवस्था? मैं तमाम लोगों से मिलने के बाद एक जैन मुनि से मिला। एक पर्ची में लिखकर यही सवाल मैंने उन तक भेज दिया। उनके प्रवचन की शुरुआत उसी पर्ची से हुई। उन्होंने कहा कि पहले तो पूर्णता ये प्रश्न ही गलत है। नैतिक अवमूल्यन का दोषी धर्म कतई नहीं हो सकता। समाज हो सकता है, व्यवस्था हो सकती है। अंत में उन्होंने कहा कि नैतिकता समाज की व्यवस्था है। लेकिन व्यक्ति की व्यवस्था सदाचार है। नैतिक व्यक्ति सदाचारी होगा; इसकी गारंटी नहीं है, लेकिन यदि वो सदाचारी है, तो वो नैतिक हो सकता है, इसकी गारंटी है।
उन्होंने कहा कि आत्मा की व्यवस्था है मोक्ष। इसे सरल तरीके से समझा जा सकता है। अगर हम ‘एक देश-एक कानून’ की बात करते हैं, तो ये समाज की व्यवस्था है। जब नैतिक मूल्यों की गिरावट होती है, तो हमें सख्ती से समाज की ओर जाना पड़ता है, कानून की ओर जाना पड़ता है। हम तो तीसरी सीढ़ी की शुरुआत कर रहे हैं। उससे ऊपर जाने की शुरुआत कर रहे हैं। इसलिए मुझे लगता है कि इस पर किसी को आपत्ति नहीं होनी।
व्याख्यान में मुख्य वक्ता के तौर पर जाने माने पत्रकार प्रो. हर्षवर्धन त्रिपाठी ( नई दिल्ली) ने विचार रखे। समारोह की अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार पद्मश्री विजयदत्त श्रीधर ने की। विषय प्रवर्तन वरिष्ठ पत्रकार एवं माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं जनसंचारविश्वविद्यालय के एडजंक्ट प्रोफेसर शिवकुमार विवेक थे।
समारोह में मंच सूत्रधार वरिष्ठ पत्रकार, उद्घोषक एवं कला समीक्षक श्री विनय उपाध्याय थे।
आयोजन में विशेषतौर पर भुवनभूषण देवलिया स्मृति व्याख्यानमाला समिति के सदस्य एवं साहित्यकार अशोक मनवानी और प्रबुद्धजन मौजूद थे।
More Stories
जीएसडीपी को दुगुना करने का मोहन संकल्प : सत्येंद्र जैन
समाज के सभी वर्गों का सर्वांगीण विकास करने वाला जनकल्याणकारी बजट : मंत्री नागर सिंह चौहान
मंत्री प्रहलाद पटेल ईएसआईसी क्षेत्रीय परिषद की 91वीं बैठक में हुए शामिल