
भोपाल: 19 जून 2025
एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह के मार्गदर्शन में बाल रोग विभाग ने पैथोलॉजी एवं लैब मेडिसिन, मेडिकल ऑन्कोलॉजी एवं हेमेटोलॉजी, आर्थोपेडिक्स और आयुष विभागों के सहयोग से 19 जून 2025 को विश्व सिकल सेल जागरूकता दिवस मनाया। इस वर्ष की थीम ” टेल इट लाउड” के माध्यम से यह संदेश दिया गया कि सिकल सेल रोग के मरीजों के लिए समग्र और बहु-विषयक देखभाल सुनिश्चित करने हेतु सभी हितधारकों की सक्रिय भागीदारी आवश्यक है। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में प्रो. (डॉ.) अजय सिंह उपस्थित रहे। विशिष्ट अतिथियों में प्रो. (डॉ.) रजनीश जोशी (डीन अकादमिक्स) और डॉ. मयंक दीक्षित (प्रभारी चिकित्सा अधीक्षक) शामिल रहे। अन्य विशिष्ट प्रतिभागियों में प्रो. डॉ. वैशाली वाल्के (पैथोलॉजी), प्रो. भावना ढींगरा (बाल रोग), डॉ. गौरव ढींगरा (मेडिकल ऑन्कोलॉजी एवं हेमेटोलॉजी), डॉ. रोशन चंचलानी (पीडियाट्रिक सर्जरी) और डॉ. दानिश जावेद (वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी, आयुष) सहित विभागों के फैकल्टी सदस्य, जूनियर और सीनियर रेजिडेंट्स, प्रोजेक्ट स्टाफ, तथा सिकल सेल रोग से प्रभावित मरीज और उनके परिजन उपस्थित रहे।
इस कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन से हुई। अपने उद्घाटन भाषण में प्रो. (डॉ.) अजय सिंह ने कहा: “सिकल सेल एनीमिया की रोकथाम के लिए स्कूली बच्चों में जागरूकता, आनुवंशिक जानकारी और विवाह पूर्व परामर्श अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। स्कूल शिक्षकों की भागीदारी से किशोरों को जागरूक किया जा सकता है। एम्स भोपाल समाज के हित में इस दिशा में सभी बहु-विभागीय प्रयासों को पूर्ण समर्थन देगा।” डॉ. मयंक दीक्षित ने सहानुभूति आधारित चिकित्सा सेवाओं की महत्ता पर जोर देते हुए रोगियों के हित में निरंतर प्रयासों के लिए संस्थान की प्रतिबद्धता दोहराई। प्रो. भावना ढींगरा ने एम्स भोपाल को हीमोग्लोबिनोपैथी की देखभाल के उत्कृष्ट केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में टीम के योगदान की सराहना की। प्रो. वैशाली वाल्के ने सिकल सेल की पहचान और वाहक स्थिति के लिए एम्स में उपलब्ध जाँचों जैसे सीबीसी, पेरिफेरल स्मीयर, रेटिकुलोसाइट काउंट, सिकलिंग टेस्ट, एचपीएलसी और आणविक परीक्षण की विस्तृत जानकारी दी। डॉ. योगेन्द्र सिंह यादव ने बच्चों में सिकल सेल रोग के लिए अपनाई गई समग्र उपचार पद्धतियों को साझा किया। डॉ. गौरव ढींगरा ने हाइड्रॉक्सीयूरिया के लाभ और बोन मैरो ट्रांसप्लांट के भविष्य की संभावनाओं पर प्रकाश डाला। डॉ. दानिश जावेद ने रोगियों की मानसिक एवं शारीरिक भलाई के लिए आयुर्वेद की समग्र भूमिका को रेखांकित किया।
इस अवसर पर “सिकल साथी” नामक पुस्तिका का विमोचन किया गया, जिसमें मरीजों और परिजनों के लिए देखभाल संबंधी उपयोगी जानकारी दी गई है। पीजी क्विज, पोस्टर और चित्रकला प्रतियोगिता के विजेताओं को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का समापन डॉ. कीर्ति स्वर्णकार (अतिरिक्त प्रोफेसर, बाल रोग विभाग) के धन्यवाद ज्ञापन और जन-जागरूकता हेतु पर्चे वितरण के साथ हुआ। एम्स भोपाल हीमोग्लोबिनोपैथी के क्षेत्र में रोगी देखभाल, शिक्षा और अनुसंधान के समन्वित प्रयासों के लिए निरंतर समर्पित है।
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